शनिवार, 22 नवंबर 2014

टच & फील



फेसबुक पर मेरे ४६०० मित्र हैं और १२-१३०० रिक्वेस्ट अभी पेंडिंग में है। लेकिन कल ऐसी घटना हुई कि  मेरे चारों तबक रोशन हो गये.एक सामान्य सी बात है कि इन लोगो में से कोई कभी मेरे शहर आएगा और मुझसे संपर्क करेगा तो मैं जरूर उसको अपने घर चाय पीने का न्योता दूंगी। किन्तु इस स्वागत या मेहमानदारी को कोई गलत अर्थ में लेकर मुझे यह समझाने की कोशिश करे कि दोस्तों में तो टच & फील होना चाहिए। इससे दोस्ती मजबूत होती है तो तौबा। कल मेरी जानकारी में ये नया शब्द आया टच & फील। तो मैं आज ही अपने सभी फेसबुक फ्रेंड को सावधान कर देना चाहती हूँ कि अगर उनकी नीयत ज़रा सी भी ऐसी हो कि जिंदगी के किसी मोड़ पर सामने मिलने पर वे टच & फील के हिमायती हैं तो आज ही मेरी लिस्ट में से खुद को अन्फ्रेंड कर लें वरना मैं ब्लाक करुँगी तो आपको बेइज्जती भी महसूस होगी। 

फेसबुक एक बहुत अच्छा मंच है ,कम से कम मेरे फेसबुक फ्रेंड के लिए तो है ही, उन्हें अपनी अनेक बीमारियो से छुटकारा मिल गया जो कई वर्षों से उन्हें तंग कर रही थीं ,कहीं जाने की जरुरत भी नहीं पड़ी घर बैठे ही इलाज हो गया। मेरे लिए भी ये अच्छा मंच साबित हुआ की शोध में तरक्की के नए रास्ते खुले और मैं नयी नयी जानकारियां सभी लोगों तक पंहुचा सकी और अनेक भ्रांतियां भी लोगो के दिमाग से निकाल सकी। मैंने भी बहुत सारी घटनाओ के बारे में पेपर में पढ़ा है कि किसी लड़की/लड़के ने मॉल में कूद कर आत्महत्या कर ली अपने फ्रेंड के कारण ,फेसबुक से दोस्ती हुई थी। ये तो सच है कि रोज रोज आप किसी से चैट करो तो सबसे पहले मानवता का फिर आगे और भी रिश्ते बन ही जाते हैं,ये मानव स्वभाव है लेकिन हर रिश्ते का एक दायरा होता है जो ख़ास तौर से लड़कियों /महिलाओं को समझना चाहिए। आप लोग हंस बोल रही हो ,सुख दुःख शेयर कर रही हो तो इसका अर्थ ये तो नहीं कि चैट में ही कोई अमर्यादित बात करे तो आप बर्दाश्त कर लो। या सामने आने पर कोई दोस्ती का हवाला देकर टच & फील की पेशकश रखे तो आप बर्दाश्त कर लो। यही वो पहला कदम होता है जिसकी मंजिल आत्महत्या या जिंदगी का बर्बाद होना होती है और इस चीज से महिलायें ही ज्यादा प्रभावित होती हैं या तो वे खुद को ख़त्म कर लेती हैं या डिप्रेशन में चली जाती हैं। इसी का परिणाम तमाम रेप केसेज भी होते हैं। टच & फील से शुरू हुआ ये सफर कभी अच्छी मंजिल नहीं देगा ये बात तमाम गर्ल्स को अपने दिमाग में बैठा लेनी चाहिए। 

कोई भी सोशल साइट कभी बुरी नहीं होती अगर आप उसे बुरे अर्थ में न ग्रहण  करें। ये भी सच है कि कुछ लोग सिर्फ लड़कियों को ही फेसबुक पर दोस्त बनाते हैं और किसी लड़की के नाम से ही फेक आई डी  डाल कर ज्यादा लड़कियों से दोस्ती करना चाहते हैं तो ऐसे लोगों की फ्रेंड लिस्ट देख कर ही लड़कियाँ उनकी रिक्वेस्ट एसेप्ट करें।अगर इतनी सावधानी रखने का आपके पास समय नहीं तो भी ऐसे लोग २-३ बार चैट में ही पकड़ में आ जाते हैं तो बिना एक पल गवाए उन्हें ब्लॉक कीजिए। क्योंकि लड़कियों के पास एक सिक्स सेन्स अर्थात छठी इंद्री भी होती है जिसका उन्हें अपने जीवन में भरपूर इस्तेमाल करना चाहिए। सिर्फ क़ानून बन जाने से या नैतिकता की कमी का रोना रोने से लडकियां सुरक्षित नहीं होंगी जब तक वे खुद स्ट्रिक्ट नहीं होंगी। तभी तलाक के केस कम होंगे, परिवार टूटने से बचेंगे और आप सर उठा के समाज में चल सकेंगी।